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श्री संतोष गंगवार एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, वर्तमान में ये  झारखंड राज्य के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं। बरेली लोकसभा से लगातार 8 बार सांसद रह चुके हैं, और अब इनकी कामयाबी को देखते हुए भारत के राष्ट्रपति द्वारा जुलाई 2024 को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया है। 

पूर्व में केंद्र सरकार में वित्त राज्य मंत्री, कपड़ा राज्य मंत्री थे। इससे पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पेट्रोलियम राज्यमंत्री रह चुके हैं। श्री संतोष कुमार गंगवार ने अपना राजनीतिक करियर भारत में आपातकाल के दौरान शुरू किया और 1984 से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति रहे हैं। 

संतोष गंगवार का जन्म 1 नवम्बर 1948 को उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था। उनकी उच्च शिक्षा आगरा विश्वविद्यालय और रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय से हुई। जहाँ से उन्होंने बीएससी और एलएलबी की डिग्री प्राप्त की।

झारखण्ड विधानसभा

सिद्धो-कान्हू, फूलो-झानो,धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा और मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के बलिदान से सिंचित राज्य निर्माण के लिए सबसे लंबे संघर्ष के उपरांत अबुआ झारखण्ड 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड की जनता को प्राप्त हुआ,तत्पश्चात 20 नवम्बर 2000 को झारखण्ड विधानसभा अस्तित्व में आया| झारखण्ड राज्य का स्वर्णिम इतिहास लगभग 100 वर्ष से भी पुराना है, जो कई महान जन विद्रोहों की भूमि रही है| झारखण्ड ने देश के जनजातीय अन्दोलनों को एक नई गतिशीलता प्रदान की |संथालों का “महान विद्रोह”, हो विद्रोह और बिरसा के “उलगुलान” के पदचिन्हों का अनुकरण कर ओलम्पिक खेलो में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान और संविधान सभा के सदस्य रहे मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ने वर्ष 1939 ई0 में बिहार राज्य के कुछ दक्षिणी जिलों को मिला कर एक नया राज्य बनाने की संकल्पना रखी थी | मारंग गोमके का यह सपना 2 अक्टूबर 2000 को तब साकार हुआ,जब संसद में झारखण्ड को अलग राज्य के रूप में दर्जा देने का विधेयक पारित हुआ और 15 नवम्बर 2000 को झारखण्ड राज्य की परिकल्पना झारखण्ड के महान स्वंतंत्रता सेनानी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जन्म तिथि पर साकार हो सका | बिहार से पृथक होकर 15 नवंबर, 2000 को झारखण्ड राज्य का वर्तमान विधानसभा भवन राँची शहर स्थित ग्राम –कुटे( राँची-गुमला पथ) में अवस्थित है| इसका उद्घाटन देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा 12 सितम्बर 2019 को हुआ | झारखण्ड राज्य की विधानसभा के इतिहास का यह स्वर्णिम अध्याय दिनांक -13 सितम्बर 2019 को चतुर्थ विधान सभा के सप्तदश (विशेष) सत्र के साथ प्रारम्भ हुआ | झारखण्ड विधान सभा का यह भव्य भवन लगभग 39 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है | अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त GRIHA 3 STAR के अनुरूप Green Building की अवधारणा से परिपूर्ण यह भवन लोकतन्त्र का जीवंत मंदिर है, जो झारखण्ड के लोगों के सपनों और अभिलाषाओं को प्रतिबिंबित करता है | गोलाकर गुम्बद्नुमा तथा संसद भवन जैसा प्रतिरूप रखने वाली यह ईमारत एक तीन मंजिला भवन है जो स्वयं को चारों दिशाओं से जोड़ते हुए एक अनूठा संगम स्थल के समदृश्य दिखाई पड़ता है| इसके केंद्रीय भाग के प्रथम तल पर सभा का मुख्य भवन स्थित है | 82 सदस्यीय झारखण्ड विधान सभा के इस सभा वेश्म में भविष्य की आवश्यकता का आकलन करते हुए 160 मा० सदस्यों के आसन की व्यवस्था का समावेश किया गया है | इस वेश्म से जुड़ा अध्यक्षीय दीर्घा, पदाधिकारी दीर्घा, पत्रकार दीर्घा तथा सामान्य दर्शक दीर्घायें हैं। सभा वेश्म की दाहिनी और बाँयी ओर क्रमशः सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए उपवेशिकायें हैं और दोनों उपवेशिकाओं के मध्य सेंट्रल लौज है | पदाधिकारियों से अलग मुख्य सचिव का एक कक्ष तथा पत्रकारों के लिए एक आधुनिकतम तकनीक से युक्त पत्रकार कक्ष है। विधानसभा मुख्य भवन में ही अध्यक्षीय कक्ष एवं उपाध्यक्ष कक्ष के अतिरिक्त मुख्यमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, नेता प्रतिपक्ष तथा मुख्य सचेतक (सत्तारुढ़ दल) के कक्ष भी अवस्थित है। मुख्य भवन में सचिव कक्ष एवं प्रतिवेदक कक्ष भी है। सभा सचिवालय परिसर में झारखण्ड विधान-सभा का वेबसाइट कक्ष तथा ऑनलाइन प्रश्नोत्तर प्रणाली कक्ष जो उत्तम वाक् व श्रवण यंत्रों से सुसज्जित है| भवन में माननीय अध्यक्ष, उपाध्यक्ष ,मुख्यमंत्री,संसदीय कार्य मंत्री ,मंत्रीगण, सचेतक(सत्ता पक्ष एवं विपक्ष) के साथ ही समितियों के माननीय सभापतियों के लिए सुंदर, सुसज्जित एवं सुविधापूर्ण कक्ष की व्यवस्था की गयी है| समिति की बैठकों के लिए समिति कक्ष तथा सदस्यों एवं कर्मचारियों के लिए कैंटीन, रेलवे आरक्षण, बैंक, डाकघर तथा चिकित्सा सेवा की सुविधायें उपलब्ध हैं। भूतल अवस्थित एक विशाल कांफेरेंस हाल है,जो विभिन्न प्रकार के आयोजनों, तथा सभा सचिवालय से संबंधित किसी विशेष समारोह के मुख्य कार्यक्रम स्थल का साक्षी बनता है | झारखण्ड विधानसभा का एक विशाल पुस्तकालय है जिसमे 14000 से ज्यादा पुस्तकें, पत्रिकाएँ और जर्नल हैं। वाचनालय में 50 व्यक्तियों के बैठने और पढ़ने की सुविधा है। झारखण्ड विधानसभा की कार्यवाही देश-देशान्तर में घटित हो रही संसदीय घटनाओं और लोक-जीवन से जुड़े आलेखों पर आधारित एक त्रैमासिक पत्रिका उडान का निरंतर संपादन किया जा रहा है, साथ ही जनमानस को संसदीय व्यवस्था से रुबरु करने के लिए सदन की कार्यवाहियों का प्रसारण के लिए झारखण्ड विधान सभा टीवी स्थापित किया गया है, जिसका स्वयं का अपना एक स्टूडियो है| जहाँ विभिन्न विषयों पर माननीय सदस्यों के साथ परिचर्चाएं एवं माननीय अध्यक्ष, झारखण्ड विधान सभा के संदेशों का प्रसारण किया जा रहा है| झारखण्ड विधान सभा ने झारखण्ड राज्य के अधिकारिक प्रतीक चिन्ह को अपनाया है जो मूलतः राज्य की सौरा चित्रकारी को प्रदर्शित करता है| छात्रों को राजनीति के प्रति उन्मुखता लाने के लिए राज्य की विधानसभाओं में से प्रथम बार झारखण्ड विधान सभा द्वारा प्रथम झारखण्ड छात्र संसद का भी आयोजन किया गया | वर्तमान में झारखण्ड विधानसभा पेपरलेस की दिशा की ओर अग्रसर है | नयी विधानसभा भवन के निर्माण से पूर्व एच ई सी टाउनशिप अवस्थित रसियन हॉस्टल परिसर का “लेनिन हॉल” विगत 19 वर्षों से झारखण्ड विधान सभा के संसदीय इतिहास का साक्षी रहा था | झारखण्ड विधानसभा के प्रथम प्रोटेम अध्यक्ष श्री विश्वेश्वर खां थे| झारखण्ड विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष श्री इन्दर सिंह नामधारी थे। सभा में पहला अभिभाषण प्रथम राज्यपाल श्री प्रभात कुमार द्वारा दिया गया। श्री बाबू लाल मरांडी पहले मुख्यमंत्री, और श्री स्टीफन मरांडी प्रथम नेता प्रतिपक्ष थे। झारखण्ड विधानसभा के प्रथम मुख्य सचेतक(सत्ता पक्ष) श्री चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह बने | झारखण्ड विधानसभा के प्रथम मुख्य सचेतक (विपक्ष) श्री हेमलाल मुर्मू थे| वर्त्तमान में झारखण्ड विधान सभा अध्यक्ष के पद पर श्री रबीन्द्र नाथ महतो आसीन हैं, श्री हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री तथा श्री आलमगीर आलम, संसदीय कार्य मंत्री हैं |

राज्यपाल
श्री संतोष कुमार गंगवार

श्री संतोष गंगवार एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, वर्तमान में ये  झारखंड राज्य के राज्यपाल के रूप में कार्यरत हैं। बरेली लोकसभा से लगातार 8 बार सांसद रह

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पीठासीन पदाधिकारी
अध्यक्ष
श्री रबीन्द्र नाथ महतो

श्री रबीन्द्र नाथ महतो ने दिनांक – 07 जनवरी, 2020 को झारखण्ड विधानसभा के 11वॆं अध्यक्ष के रुप में शपथ ग्रहण की। इनका जन्म दिनांक – 12.01.1960 को ग्राम -पाटनपुर, पो0- मोहनाबॉक, थाना-बिन्दापाथर, जिला

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पीठासीन पदाधिकारी
उपाध्यक्ष